फंडिंग फ्रीज़ का कारण
ट्रम्प प्रशासन ने हार्वर्ड पर आरोप लगाया कि वह कैंपस में बढ़ते यहूदी विरोधी घटनाओं को रोकने में विफल रहा है। प्रशासन ने विश्वविद्यालय से निम्नलिखित मांगें की थीं:- विविधता, समानता और समावेशन (DEI) कार्यक्रमों को समाप्त करना
- प्रवेश और भर्ती नीतियों को केवल योग्यता आधारित बनाना
- प्रवासी छात्रों की निगरानी में संघीय अधिकारियों के साथ सहयोग बढ़ाना
- प्रो-पैलेस्टीन छात्र समूहों पर प्रतिबंध लगाना
- प्रदर्शनों के दौरान मास्क पहनने पर प्रतिबंध लगाना
हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने इन मांगों को "अभूतपूर्व" और "संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन" बताते हुए अस्वीकार कर दिया। विश्वविद्यालय के अध्यक्ष एलन गार्बर ने कहा, "कोई भी सरकार—चाहे वह किसी भी पार्टी की हो—निजी विश्वविद्यालयों को यह निर्देश नहीं दे सकती कि वे क्या पढ़ाएं, किसे भर्ती करें, और किन क्षेत्रों में अध्ययन करें।"
प्रतिक्रिया और समर्थन
पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने हार्वर्ड के निर्णय का समर्थन करते हुए इसे "शैक्षणिक स्वतंत्रता को दबाने के एक असफल प्रयास" के रूप में वर्णित किया। उन्होंने कहा, "हार्वर्ड ने अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए एक उदाहरण स्थापित किया है—एक अवैध और असभ्य प्रयास को अस्वीकार करते हुए, जबकि यह सुनिश्चित करते हुए कि सभी छात्र बौद्धिक जांच, कठोर बहस और पारस्परिक सम्मान के वातावरण से लाभान्वित हो सकें।"इसके अतिरिक्त, अमेरिकी विश्वविद्यालय प्रोफेसरों की एसोसिएशन (AAUP) ने इस फंडिंग कटौती को "राजनीतिक विचारधाराओं को थोपने का प्रयास" बताते हुए कानूनी चुनौती दी है। छात्रों और पूर्व छात्रों ने भी इस निर्णय के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए हैं।
अन्य विश्वविद्यालयों पर प्रभाव
हार्वर्ड अकेला विश्वविद्यालय नहीं है जिसे ट्रम्प प्रशासन के इस अभियान का सामना करना पड़ा है। कोलंबिया विश्वविद्यालय ने प्रशासन की मांगों को स्वीकार करते हुए लगभग $400 मिलियन की फंडिंग बरकरार रखी, लेकिन इसके बावजूद आंतरिक असंतोष के कारण इसके अंतरिम अध्यक्ष को पद छोड़ना पड़ा।प्रिंसटन, कॉर्नेल और नॉर्थवेस्टर्न जैसे अन्य प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों को भी इसी तरह की मांगों का सामना करना पड़ा है, जिससे उच्च शिक्षा संस्थानों और संघीय सरकार के बीच तनाव बढ़ गया है।
हार्वर्ड विश्वविद्यालय के लिए $2.3 बिलियन की फंडिंग फ्रीज़ ने शैक्षणिक स्वतंत्रता और सरकारी हस्तक्षेप के बीच संतुलन पर एक महत्वपूर्ण बहस को जन्म दिया है। यह घटना न केवल अमेरिका में उच्च शिक्षा के भविष्य को प्रभावित कर सकती है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता और स्वतंत्रता पर प्रश्नचिह्न लगा सकती है।
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