बांग्लादेश में शेख हसीना के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस की मांग | Hum Hindustani

बांग्लादेश में शेख हसीना के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस की मांग

परिचय और पृष्ठभूमि

यह सर्वेक्षण नोट बांग्लादेश में हाल के राजनीतिक विकास पर केंद्रित है, विशेष रूप से शेख हसीना और 10 अन्य के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने के लिए इंटरपोल की मदद मांगने के संबंध में। शोध से पता चलता है कि यह कदम बांग्लादेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जो मानवाधिकार उल्लंघन और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर व्यापक प्रभाव डाल सकता है। शेख हसीना, जो 2009 से 2024 तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं, अपनी सरकार के दौरान आर्थिक विकास और बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए जानी जाती हैं। हालांकि, उनके शासन की आलोचना भी हुई, विशेष रूप से मानवाधिकारों के उल्लंघन और लोकतांत्रिक स्वतंत्रताओं पर प्रतिबंध लगाने के लिए। 2014 और 2018 के चुनावों में व्यापक धांधली के आरोप लगे, जिससे विपक्षी दलों ने चुनावों का बहिष्कार किया। शेख हसीना को अक्सर अधिनायकवादी और विरोधियों के प्रति दमनकारी माना गया।

2024 के प्रदर्शन और शेख हसीना का पतन

2024 में, बांग्लादेश में छात्रों और नागरिकों ने सरकार विरोधी प्रदर्शन शुरू किए, जो मुख्य रूप से सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली के खिलाफ थे। यह प्रणाली, जो राजनीतिक और सैन्य समूहों को नौकरियों का बड़ा हिस्सा आरक्षित करती थी, को अन्यायपूर्ण और भ्रष्टाचारपूर्ण माना गया। जुलाई 2024 से शुरू हुए प्रदर्शन धीरे-धीरे तीव्र हो गए और अगस्त तक एक पूर्ण विद्रोह का रूप ले लिया। प्रदर्शनकारियों ने सरकार के खिलाफ नारे लगाए और सड़कों पर उतरकर विरोध जताया। सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई, जिसके परिणामस्वरूप 700 से अधिक लोगों की मौत हुई, जैसा कि मानवाधिकार संगठनों द्वारा रिपोर्ट किया गया। विशेष रूप से, 5 अगस्त 2024 को एक बड़े विरोध मार्च के दौरान हिंसा बढ़ी, जिसमें 50 से अधिक लोग मारे गए। इस घटना के बाद, देशव्यापी हड़तालें शुरू हुईं, और शेख हसीना को 5 अगस्त 2024 को पद छोड़ना पड़ा और देश छोड़ना पड़ा।

अंतर्राष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल (ICT) और गिरफ्तारी वारंट

बांग्लादेश का अंतर्राष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल (ICT), जो 2010 में शेख हसीना की सरकार द्वारा स्थापित किया गया था, अब उनके खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है। ICT का उद्देश्य 1971 के मुक्ति युद्ध के दौरान किए गए युद्ध अपराधों की जांच करना था, और इसने कई उच्च-प्रोफ़ाइल मामलों, जैसे Jamaat-e-Islami के नेता Delawar Hossain Sayeedi के खिलाफ, को संभाला। 17 अक्टूबर 2024 को, ICT ने शेख हसीना और 45 अन्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए, जिसमें उनके पूर्व मंत्रियों और सहयोगियों को भी शामिल किया गया। इन वारंटों का आधार जुलाई-अगस्त 2024 के प्रदर्शनों के दौरान कथित मानवता के खिलाफ अपराध, जनसंहार, और सामूहिक हत्या है। इसके अलावा, शासनकाल के दौरान बलात्कारपूर्ण गायब होने की घटनाओं के लिए भी आरोप लगाए गए हैं।

रेड कॉर्नर नोटिस और वर्तमान स्थिति

बांग्लादेश पुलिस ने हाल ही में इंटरपोल से रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने का अनुरोध किया है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वांछित व्यक्तियों की तलाश के लिए उपयोग किया जाता है। यह अनुरोध ICT द्वारा जारी किए गए वारंटों पर आधारित है, और नवंबर 2023 में ICT के मुख्य अभियोजक ने पहले से ही इंटरपोल की मदद मांगी थी। वर्तमान में, शेख हसीना बांग्लादेश छोड़ चुकी हैं और reportedly भारत में हैं, हालांकि उनकी सटीक स्थिति अज्ञात है। यह स्थिति भारत-बांग्लादेश संबंधों को जटिल बना सकती है, क्योंकि भारत शरणार्थी कानूनों और अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करेगा।

आरोपों का विवरण

शेख हसीना पर लगाए गए आरोपों में शामिल हैं:
  • मानवता के खिलाफ अपराध, विशेष रूप से प्रदर्शनों के दौरान हिंसा और नागरिकों पर अत्याचार।
  • जनसंहार, जिसमें प्रदर्शनकारियों की सामूहिक हत्या शामिल है।
  • सामूहिक हत्या, विशेष रूप से 5 अगस्त 2024 की घटना में।
  • बलात्कारपूर्ण गायब होने, शासनकाल के दौरान सैकड़ों लोगों के गायब होने के लिए।

विशिष्ट मामलों में, Md Abul Hasan ने अपने बेटे Shahriar Hasan Alvi की हत्या के संबंध में शिकायत दर्ज कराई, जो प्रदर्शनों के दौरान मारे गए थे। इसके अलावा, तीन अन्य मामले प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा के लिए दायर किए गए हैं।

तालिका: महत्वपूर्ण तिथियां और घटनाएं

तिथिघटना
जुलाई 2024छात्रों द्वारा कोटा प्रणाली के खिलाफ प्रदर्शन शुरू
5 अगस्त 2024शेख हसीना पद छोड़ती हैं और भारत भागती हैं
17 अक्टूबर 2024ICT द्वारा गिरफ्तारी वारंट जारी किए गए
नवंबर 2023ICT मुख्य अभियोजक ने इंटरपोल मदद मांगी
2025, अप्रैलबांग्लादेश पुलिस ने रेड कॉर्नर नोटिस का अनुरोध किया

शेख हसीना के खिलाफ लगाए गए आरोप और रेड कॉर्नर नोटिस की मांग बांग्लादेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह देश के राजनीतिक भविष्य और नेतृत्व पर प्रश्नचिह्न लगाता है, साथ ही भारत-बांग्लादेश संबंधों को प्रभावित कर सकता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, यह मामला मानवाधिकार और न्यायिक निष्पक्षता पर बहस को बढ़ावा दे रहा है। आने वाले समय में, यह देखना दिलचस्प होगा कि ये मामले कैसे सुलझते हैं और बांग्लादेश की राजनीति पर क्या प्रभाव डालते हैं।

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