Hum Hindustani: अप्रैल 2025 में, भारत में सोने की कीमतों ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया, जब यह ₹96,000 प्रति 10 ग्राम के स्तर को पार कर गई। यह वृद्धि ₹6,250 की थी, जो चार दिनों की गिरावट के बाद आई। इस उछाल के पीछे कई वैश्विक और घरेलू कारक हैं, जिनमें अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध, केंद्रीय बैंकों की सोने की खरीद, मुद्रा विनिमय दरों में उतार-चढ़ाव और निवेशकों की सुरक्षित निवेश की खोज शामिल हैं।
अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध का प्रभाव
अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापार तनाव ने वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बढ़ा दी है। अप्रैल 2025 में, अमेरिका ने चीनी वस्तुओं पर 145% तक के टैरिफ लगाए, जिसके जवाब में चीन ने भी 125% तक के टैरिफ लगाए। इससे वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंका बढ़ी और निवेशकों ने सोने को सुरक्षित निवेश के रूप में अपनाया। इस मांग ने सोने की कीमतों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
केंद्रीय बैंकों की सोने की खरीद
पिछले तीन वर्षों में, वैश्विक केंद्रीय बैंकों ने अपने भंडारों में विविधता लाने के लिए सोने की खरीद में तेजी लाई है। रूस-यूक्रेन युद्ध और डॉलर पर निर्भरता कम करने की रणनीति के तहत, चीन, भारत, पोलैंड और तुर्की जैसे देशों ने सोने की खरीद बढ़ाई है। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की मांग और कीमतों में वृद्धि हुई है।
मुद्रा विनिमय दरों में उतार-चढ़ाव
अमेरिकी डॉलर की कमजोरी ने भी सोने की कीमतों को समर्थन दिया है। डॉलर इंडेक्स के 100 अंक से नीचे गिरने से, निवेशकों ने सोने की ओर रुख किया, जिससे इसकी मांग और कीमतों में वृद्धि हुई।
निवेशकों की सुरक्षित निवेश की खोज
वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता, मुद्रास्फीति और मंदी की आशंका ने निवेशकों को सोने की ओर आकर्षित किया है। सोने को पारंपरिक रूप से सुरक्षित निवेश माना जाता है, जो आर्थिक संकट के समय में मूल्य बनाए रखता है। इस विश्वास ने सोने की मांग और कीमतों को बढ़ाया है।
भारत में सोने की कीमतों पर प्रभाव
भारत में, सोने की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार के रुझानों और घरेलू मांग से प्रभावित होती हैं। त्योहारी सीजन और शादियों के दौरान सोने की मांग बढ़ जाती है, जिससे कीमतों में वृद्धि होती है। इसके अलावा, रुपये की कमजोरी और आयात लागत में वृद्धि ने भी सोने की कीमतों को प्रभावित किया है।
निवेशकों के लिए सुझाव
विशेषज्ञों का मानना है कि सोने में निवेश करना सुरक्षित है, लेकिन एकमुश्त निवेश के बजाय धीरे-धीरे निवेश करना बेहतर होगा। सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखते हुए, निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में संतुलन बनाए रखना चाहिए।
सोने की कीमतों में हालिया वृद्धि कई वैश्विक और घरेलू कारकों का परिणाम है। अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध, केंद्रीय बैंकों की खरीद, मुद्रा विनिमय दरों में उतार-चढ़ाव और निवेशकों की सुरक्षित निवेश की खोज ने सोने की मांग और कीमतों को बढ़ाया है। भविष्य में भी, यदि ये कारक बने रहते हैं, तो सोने की कीमतों में और वृद्धि की संभावना है।
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