लंबे समय से प्रतीक्षित निसार उपग्रह मिशन, जो नासा और इसरो के बीच एक संयुक्त प्रयास है, जून 2025 में लॉन्च की संभावना | Hum Hindustani

NISAR satellite mission is likely to launch in June 2025

Hum Hindustani: भारत के भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा के बीच सहयोग से विकसित बहुप्रतीक्षित उपग्रह मिशन NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) को अब जून 2025 में लॉन्च किए जाने की संभावना है। यह मिशन पृथ्वी अवलोकन के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है, जो पृथ्वी की सतह और पर्यावरणीय प्रक्रियाओं की अत्यंत विस्तृत और बार-बार होने वाली जानकारी प्रदान करेगा।

NISAR मिशन का परिचय

NISAR मिशन एक संयुक्त प्रयास है जिसमें ISRO और NASA ने मिलकर एक अत्याधुनिक सिंथेटिक एपर्चर रडार उपग्रह विकसित किया है। इसका उद्देश्य पृथ्वी की सतह पर हो रहे पर्यावरणीय और भूगर्भीय परिवर्तनों की निगरानी करना है। उपग्रह में दो फ्रीक्वेंसी के रडार लगे हैं – ISRO द्वारा विकसित एस-बैंड और NASA द्वारा विकसित एल-बैंड, जो पृथ्वी की सतह को उच्च सटीकता से स्कैन करेंगे।

प्रमुख विशेषताएँ और वैज्ञानिक उद्देश्य

  • सटीकता: NISAR उपग्रह पृथ्वी की सतह में 1 सेंटीमीटर तक के बदलाव का पता लगा सकेगा।
  • दोहरी आवृत्ति रडार: एस-बैंड और एल-बैंड रडार तकनीक का उपयोग कर यह उपग्रह सतह के विभिन्न पहलुओं का गहन अध्ययन करेगा।
  • पृथ्वी के पर्यावरणीय बदलावों की निगरानी: हिमनदों का पिघलना, वनस्पति परिवर्तन, समुद्र के स्तर में वृद्धि, और भूकंपीय गतिविधियों की जानकारी।
  • प्राकृतिक आपदाओं के प्रबंधन में सहायता: भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी विस्फोट, भूस्खलन जैसे खतरों की बेहतर समझ और पूर्वानुमान।
  • ग्लोबल मैपिंग: हर 12 दिनों में पृथ्वी की लगभग पूरी सतह का स्कैन।

मिशन की तकनीकी जानकारी

NISAR उपग्रह को ISRO के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से GSLV (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle) रॉकेट के माध्यम से लॉन्च किया जाएगा। उपग्रह को पृथ्वी की निचली कक्षा (Low Earth Orbit) में स्थापित किया जाएगा। इस मिशन का परीक्षण और उपग्रह का असेंबली ISRO के बेंगलुरु स्थित सैटेलाइट इंटीग्रेशन और टेस्टिंग फैसिलिटी में पूरा हो चुका है।

लॉन्च में देरी के कारण

मूल रूप से NISAR मिशन को 2024 की शुरुआत में लॉन्च करने की योजना थी, लेकिन तकनीकी कारणों से इसमें देरी हुई। विशेष रूप से उपग्रह के 12 मीटर लंबे रडार एंटीना रिफ्लेक्टर में तकनीकी समस्या आई, जिसे सुधारने के लिए उपग्रह को अमेरिका वापस भेजा गया। इस कारण मिशन की लॉन्च तिथि मई या जून 2025 तक स्थगित हो गई।

ISRO और NASA के बीच सहयोग

NISAR मिशन ISRO और NASA के बीच पहला बड़ा संयुक्त पृथ्वी विज्ञान मिशन है। यह दोनों एजेंसियों की तकनीकी विशेषज्ञता और संसाधनों का संयोजन है। ISRO ने एस-बैंड रडार विकसित किया है, जबकि NASA ने एल-बैंड रडार और मिशन के वैज्ञानिक उपकरणों का निर्माण किया है। दोनों एजेंसियां मिशन के संचालन, डेटा संग्रह और विश्लेषण में भी साझेदारी करेंगी।

मिशन के महत्व और प्रभाव

NISAR मिशन से प्राप्त डेटा का उपयोग जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अध्ययन करने, प्राकृतिक आपदाओं के पूर्वानुमान और प्रबंधन, कृषि और वनस्पति के स्वास्थ्य का मूल्यांकन, और बायोमास तथा समुद्र के स्तर में बदलाव की निगरानी के लिए किया जाएगा। यह मिशन वैश्विक स्तर पर पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के प्रयासों को सशक्त बनाएगा।

अन्य आगामी ISRO मिशन

ISRO मई 2025 में अन्य महत्वपूर्ण मिशनों को भी लॉन्च करने की योजना बना रहा है, जिनमें EOS-09 (एक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह), TV-D2 (गगनयान मानव अंतरिक्ष मिशन से जुड़ा परीक्षण वाहन), और Axiom-4 मिशन शामिल हैं। Axiom-4 मिशन में भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन जाएंगे।

ISRO-NASA NISAR मिशन पृथ्वी विज्ञान के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होगा। यह मिशन न केवल भारत और अमेरिका के बीच अंतरिक्ष सहयोग को मजबूत करेगा, बल्कि पृथ्वी के पर्यावरणीय और भूगर्भीय परिवर्तनों की समझ को भी नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा। जून 2025 में इसके लॉन्च की उम्मीद के साथ, वैज्ञानिक और पर्यावरणविद इस मिशन से मिलने वाले डेटा के माध्यम से बेहतर भविष्य की योजना बनाने की दिशा में आगे बढ़ेंगे।

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