प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
डॉ. रेड्डी का जन्म 18 मार्च 1956 को विशाखापट्टनम, आंध्र प्रदेश में हुआ था। उन्होंने अपनी चिकित्सा शिक्षा कर्नूल मेडिकल कॉलेज से एम.बी.बी.एस., मद्रास मेडिकल कॉलेज से एम.डी., और पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (PGIMER), चंडीगढ़ से डी.एम. (गैस्ट्रोएंटरोलॉजी) की उपाधि प्राप्त की। अपने करियर की शुरुआत में ही उन्होंने गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल एंडोस्कोपी के क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करने का निर्णय लिया, जो उस समय भारत में एक नवोदित क्षेत्र था।पेशेवर उपलब्धियाँ
डॉ. रेड्डी ने 1994 में हैदराबाद में एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी (AIG) की स्थापना की, जो आज विश्व का सबसे बड़ा गैस्ट्रोएंटरोलॉजी अस्पताल है। उनकी नेतृत्व क्षमता और नवाचारों के कारण AIG अस्पताल एंडोस्कोपी प्रशिक्षण और अनुसंधान का एक वैश्विक केंद्र बन गया है।उन्होंने 1,000 से अधिक पीयर-रिव्यूड शोध पत्र प्रकाशित किए हैं और 50 से अधिक गैस्ट्रोएंटरोलॉजी पाठ्यपुस्तकों में योगदान दिया है। उनकी शोध रुचि विशेष रूप से थेरेप्यूटिक पैनक्रियाटो-बिलियरी एंडोस्कोपी और ट्रांसगैस्ट्रिक एंडोस्कोपिक सर्जरी में रही है।
पुरस्कार और सम्मान
एंडोस्कोपी के क्षेत्र में योगदान
डॉ. रेड्डी ने भारत में एंडोस्कोपी को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने न केवल भारत में बल्कि विश्वभर में एंडोस्कोपी के क्षेत्र में शिक्षा और प्रशिक्षण को बढ़ावा दिया है। उनके नेतृत्व में, AIG अस्पताल ने 1,000 से अधिक गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्टों को उन्नत एंडोस्कोपी प्रक्रियाओं में प्रशिक्षित किया है।व्यक्तिगत जीवन और दृष्टिकोण
डॉ. रेड्डी का मानना है कि "कठिन परिश्रम और समर्पण को समाज द्वारा मान्यता दी जाती है, चाहे आप कहीं भी काम करें।" वे अपने परिवार, विशेष रूप से अपनी पत्नी कैरोल और AIG अस्पताल के सहयोगियों को अपने सफलता का श्रेय देते हैं। उनका उद्देश्य गुणवत्ता युक्त और सुलभ स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना, शिक्षा को बढ़ावा देना और एंडोस्कोपी में अनुसंधान को प्रोत्साहित करना है।डॉ. डी. नागेश्वर रेड्डी की उपलब्धियाँ न केवल भारत के लिए गर्व का विषय हैं, बल्कि वे विश्वभर के चिकित्सा समुदाय के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उनकी प्रतिबद्धता, नवाचार और शिक्षा के प्रति समर्पण ने उन्हें एंडोस्कोपी के क्षेत्र में एक अग्रणी व्यक्तित्व बना दिया है। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि समर्पण और दृढ़ संकल्प से कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।
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