जेम्स वेब टेलीस्कोप ने एक्सोप्लैनेट K2-18b पर संभावित जीवन की खोज | Hum Hindustani

James Webb Telescope discovers possible life on exoplanet

Hum Hindustani: खगोल विज्ञान के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक खोज हुई है, जिसमें कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) की मदद से एक्सोप्लैनेट K2-18b के वायुमंडल में जीवन से जुड़े अणुओं की पहचान की है। यह खोज पृथ्वी से परे जीवन की खोज में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकती है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि यह खोज क्यों महत्वपूर्ण है, K2-18b क्या है, जेम्स वेब टेलीस्कोप कैसे काम करता है, और इस खोज के वैज्ञानिक व ब्रह्मांडीय प्रभाव क्या हो सकते हैं।

K2-18b क्या है?

K2-18b एक एक्सोप्लैनेट है, यानी ऐसा ग्रह जो हमारे सौरमंडल के बाहर किसी अन्य तारे के चारों ओर परिक्रमा करता है। यह ग्रह पृथ्वी से लगभग 124 प्रकाश वर्ष दूर, सिंह (Leo) नक्षत्र में स्थित है। K2-18b का आकार पृथ्वी से लगभग 2.6 गुना बड़ा है और यह एक लाल बौने तारे के चारों ओर परिक्रमा करता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस ग्रह की सतह पर महासागर हो सकते हैं, जो जीवन के लिए अनुकूल परिस्थितियां प्रदान कर सकते हैं।

जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) क्या है?

जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) नासा, यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA), और कनाडाई स्पेस एजेंसी (CSA) का एक संयुक्त मिशन है, जिसे 25 दिसंबर 2021 को लॉन्च किया गया था। यह टेलीस्कोप हबल टेलीस्कोप का वैज्ञानिक उत्तराधिकारी माना जाता है और इसका मुख्य उद्देश्य ब्रह्मांड के सबसे दूरस्थ और प्राचीन हिस्सों का अवलोकन करना है। JWST मुख्य रूप से इन्फ्रारेड तरंगदैर्ध्य में कार्य करता है, जो उसे धूल और गैस के पीछे छिपे हुए खगोलीय पिंडों को देखने में सक्षम बनाता है।

इसका मुख्य दर्पण 6.5 मीटर व्यास का है, जो 18 छोटे षटकोणीय खंडों से बना है, और यह अत्यंत संवेदनशील उपकरणों से लैस है जैसे NIRCam, NIRSpec, MIRI आदि। JWST पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर सूर्य के पीछे Lagrange Point 2 (L2) पर स्थित है, जहां से यह स्थिर और स्पष्ट अवलोकन कर सकता है।

K2-18b के वायुमंडल में जीवन के संकेत

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने JWST के माध्यम से K2-18b के वायुमंडल का विश्लेषण किया और वहाँ डाइमिथाइल सल्फाइड (DMS) और डाइमिथाइल डिसल्फाइड (DMDS) जैसे अणुओं की उपस्थिति पाई। पृथ्वी पर ये गैसें मुख्यतः समुद्री फाइटोप्लांकटन और जीवाणुओं द्वारा उत्पन्न होती हैं, इसलिए इन्हें जीवन के संभावित जैव-सिग्नेचर माना जाता है।

हालांकि, वैज्ञानिकों ने यह भी स्पष्ट किया है कि अभी ये निष्कर्ष पूर्णतया पुष्ट नहीं हुए हैं। वर्तमान में इन अणुओं की उपस्थिति की पुष्टि लगभग तीन सिग्मा (99.7%) स्तर की है, जबकि वैज्ञानिक पुष्टि के लिए कम से कम पाँच सिग्मा (99.9999%) की आवश्यकता होती है।

यह खोज क्यों महत्वपूर्ण है?

  • पहली बार जीवन के संभावित संकेत: यदि DMS और DMDS की उपस्थिति पुष्टि हो जाती है, तो यह पहली बार होगा जब पृथ्वी के बाहर किसी ग्रह पर जीवन के संकेत मिले हैं।
  • समुद्री जीवन की संभावना: DMS और DMDS मुख्यतः समुद्री जीवों से उत्पन्न होते हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि K2-18b पर महासागर हो सकते हैं और वहाँ माइक्रोबियल जीवन मौजूद हो सकता है।
  • एस्ट्रोबायोलॉजी में क्रांति: यह खोज एस्ट्रोबायोलॉजी (खगोल-जीवविज्ञान) के क्षेत्र में एक नया अध्याय खोल सकती है और ब्रह्मांड में जीवन की व्यापकता को समझने में मदद कर सकती है।
  • भविष्य के शोध के लिए मार्गदर्शन: JWST और अन्य अंतरिक्ष दूरबीनों के लिए यह खोज जीवन की खोज के नए लक्ष्य निर्धारित करेगी।

जेम्स वेब टेलीस्कोप की भूमिका

JWST की सबसे बड़ी ताकत इसकी अत्याधुनिक इन्फ्रारेड तकनीक है, जो ग्रहों के वायुमंडल में मौजूद रासायनिक तत्वों और अणुओं का पता लगाने में सक्षम है। जब कोई ग्रह अपने तारे के सामने से गुजरता है, तो उस तारे की रोशनी ग्रह के वायुमंडल से होकर गुजरती है। JWST इस प्रकाश का विश्लेषण करके वायुमंडल में मौजूद गैसों की पहचान करता है। इसी तकनीक से K2-18b के वायुमंडल में DMS और DMDS जैसे अणु पाए गए हैं।

K2-18b की विशेषताएं

विवरण जानकारी
स्थान 124 प्रकाश वर्ष दूर, सिंह नक्षत्र
आकार पृथ्वी से 2.6 गुना बड़ा
तारा लाल बौना तारा
संभावित सतह महासागर से ढकी
जीवन संकेत डाइमिथाइल सल्फाइड (DMS), डाइमिथाइल डिसल्फाइड (DMDS)
आविष्कार उपकरण जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST)
वैज्ञानिक पुष्टि स्तर तीन सिग्मा (99.7%) - पुष्टि के लिए पाँच सिग्मा आवश्यक

वैज्ञानिक समुदाय की प्रतिक्रिया

वैज्ञानिक इस खोज को उत्साहजनक मानते हैं लेकिन साथ ही सावधानी भी बरत रहे हैं। डॉ. निक्कू मधुसूदन जैसे खगोल भौतिकीविद् ने कहा है कि प्रारंभिक डेटा DMS की उपस्थिति की उच्च संभावना दर्शाता है, लेकिन अंतिम पुष्टि के लिए और अधिक विश्लेषण आवश्यक है। यह खोज एस्ट्रोबायोलॉजी के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, परंतु इसे वैज्ञानिक समुदाय में व्यापक स्वीकार्यता मिलने में समय लग सकता है।

भविष्य की संभावनाएं

JWST के आने वाले वर्षों में K2-18b और अन्य संभावित रहने योग्य ग्रहों का और भी गहराई से अध्ययन करेगा। यदि जीवन के संकेतों की पुष्टि होती है, तो यह न केवल पृथ्वी के बाहर जीवन की खोज को सशक्त करेगा, बल्कि ब्रह्मांड में जीवन के अस्तित्व के सवालों के जवाब खोजने में भी मदद करेगा। इसके अतिरिक्त, यह खोज हमें यह समझने में सहायता करेगी कि जीवन कैसे उत्पन्न होता है और ब्रह्मांड में इसकी संभावनाएं कितनी व्यापक हैं।

जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की मदद से एक्सोप्लैनेट K2-18b के वायुमंडल में जीवन से जुड़े अणुओं की खोज खगोल विज्ञान और एस्ट्रोबायोलॉजी के लिए एक क्रांतिकारी उपलब्धि है। यह खोज हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हम ब्रह्मांड में अकेले नहीं हैं और जीवन की संभावनाएं कहीं और भी मौजूद हो सकती हैं। हालांकि अभी यह खोज अंतिम पुष्टि के स्तर पर नहीं पहुंची है, लेकिन यह भविष्य की खोजों के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करती है। आने वाले वर्षों में JWST और अन्य अंतरिक्ष मिशनों से हमें जीवन की खोज में और भी रोमांचक परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

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