चीन की बोइंग पर रोक: कारण और प्रभाव
चीन ने बोइंग के विमानों के आयात पर रोक लगाने का निर्णय अमेरिका द्वारा चीनी उत्पादों पर लगाए गए 145% अतिरिक्त शुल्क के जवाब में लिया है। इस प्रतिबंध के तहत, चीन की प्रमुख एयरलाइंस जैसे एयर चाइना, चाइना ईस्टर्न और चाइना सदर्न की दर्जनों लंबित ऑर्डर अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिए गए हैं ।बोइंग के लिए चीन एक महत्वपूर्ण बाजार रहा है, जो वैश्विक नागरिक विमानन बाजार का लगभग 15% हिस्सा रखता है, और अगले 15 वर्षों में इसके 20% तक पहुंचने की संभावना है। इस प्रतिबंध से बोइंग को भारी आर्थिक नुकसान हो सकता है, विशेषकर जब कंपनी पहले से ही सुरक्षा चिंताओं, औद्योगिक विवादों और 2024 में $11.8 बिलियन के घाटे से जूझ रही है ।
एयरबस और कॉमैक को लाभ
चीन के इस निर्णय से यूरोपीय विमान निर्माता एयरबस और घरेलू कंपनी कॉमैक को लाभ हो सकता है। एयरबस ने हाल ही में चीन की तीन प्रमुख एयरलाइंस से लगभग 300 विमानों का $37 बिलियन का ऑर्डर प्राप्त किया है, जो बोइंग के लिए एक बड़ा झटका है ।वहीं, चीन की घरेलू कंपनी कॉमैक भी अपने C919 जेटलाइनर के माध्यम से बाजार में अपनी पकड़ मजबूत कर रही है। चीन सरकार की रणनीति है कि वह अपने विमानन उद्योग को आत्मनिर्भर बनाए और विदेशी कंपनियों पर निर्भरता कम करे ।
वैश्विक विमानन उद्योग पर प्रभाव
चीन के इस कदम से वैश्विक विमानन उद्योग में अनिश्चितता बढ़ गई है। बोइंग के शेयरों में इस खबर के बाद 3% की गिरावट आई है, और 2025 में अब तक कंपनी के शेयरों में 12% की गिरावट दर्ज की गई है ।इसके अलावा, अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापारिक तनावों से अन्य विमान निर्माताओं और आपूर्ति श्रृंखलाओं पर भी असर पड़ सकता है। उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह स्थिति बनी रहती है, तो वैश्विक विमानन उद्योग को पुनर्गठित करना पड़ सकता है ।
चीन द्वारा बोइंग के विमानों के आयात पर रोक लगाने का निर्णय न केवल अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध को नई ऊंचाइयों पर ले गया है, बल्कि वैश्विक विमानन उद्योग के लिए भी एक चेतावनी है। यह स्थिति दर्शाती है कि कैसे व्यापारिक विवाद वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं और उद्योगों को प्रभावित कर सकते हैं।
भविष्य में, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि दोनों देश इस तनाव को कैसे सुलझाते हैं और वैश्विक विमानन उद्योग इस चुनौती का सामना कैसे करता है।
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